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विस्तार : सीक्रेट ऑफ डार्कनेस (भाग : 41)



ग्रेमाक्ष पर से विस्तार की शक्तियों का प्रभाव हटने लगा, वातावरण पूर्व के समान शांत एवं स्याह दिखाई देने लगा परन्तु अब ग्रेमाक्ष के अंदर के क्रोध का ज्वालामुखी विस्तार पर फटने वाला था। ग्रेमाक्ष की प्राकृतिक शक्तियां पूर्णतः जागृत होने लगी। यह देखकर विस्तार पहले थोड़ा परेशान हुआ, अचानक उसके स्याह चेहरे पर भी क्रूर मुस्कान आ कर ठहर गयी।

"तुमने अपनी शक्तियों का परिचय तो दे दिया विस्तार! अब मेरी शक्तियों का नमूना देखो।" विस्तार के आसपास के वातावरण में वायु सघन होने लगी, पहाड़ और ऊँचा होकर उसकी ओर बढ़ा, विस्तार उससे बचने के ऊपर उड़ना चाहा पर अब उसकी गति बहुत धीमी हो चुकी थी।

"यह तुम कैसे कर सकते हो?" विस्तार हैरान था। वह अंधकार में छिपे रहस्यों को नही जान पा रहा था फिर अंधकार के रहस्य को कैसे जान पाता वो! विस्तार के चेहरे पर दृढ़ता के कारण तनाव आता जा रहा था, उसे ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो किसी से उसे वहीं पर धरती से बांध दिया हो।

"तुम्हारी शक्तियां बच्चों को डराने मात्र में उपयोगी हैं विस्तार! ग्रेमाक्ष के समक्ष तुम एक साधारण बालक से अधिक कुछ नही हो।" ग्रेमाक्ष बोला, उसके स्वर में व्यंग्य का पुट था, विस्तार पूरी ताकत से उड़ते हुए वहाँ से निकलने का प्रयास कर रहा था परन्तु वह इसमें नाममात्र ही सफल हो पा रहा था। तभी उसके जबड़े पर ग्रेमाक्ष का जोरदार मुक्का पड़ा, विस्तार का थोबड़ा हिल गया, वह धड़ाम से नीचे जा गिरा, जहां पहाड़ो से उसे अपनी आगोश में दफन कर दिया। ग्रेमाक्ष ने पर्वत के उस टुकड़े को जहां विस्तार कैद था अग्नि लहर से घेर दिया। उसके ऊपर वायु की सघन पट्टी, आकाश की शक्ति के कारण अब विस्तार आसानी से उड़ भी नही सकता था। असंख्य चट्टानें विस्तार के शरीर से लिपट गयी थी, पहाड़ पर सदियों पुरानी वृक्षों के तने थे जो जीवित होकर विस्तार के हाथों और गर्दन पर कसने लगे अब वह किसी भी तरह से स्वतंत्र नही हो सकता था।

"हाहाहा…. दो-चार बार हाथ चला के स्वयं को विजेता मान लेना संसार की सबसे बड़ी मूर्खता है विस्तार!" आँखों में जमाने भर की क्रूरता भरकर विस्तार को क्रूर दृष्टि से देखता हुआ ग्रेमाक्ष बोला।

"आज सदियों बाद कोई टक्कर का प्रतिद्वंद्वी मिला है! इससे पहले एक मेराण ही था, जानते हो वह मुझे याद क्यों है क्योंकि उसी की वजह से मैं इतना शक्तिशाली बना हूँ! इन सब शक्तियों का स्वामी हाहाहा….!" ग्रेमाक्ष विस्तार पर एक दूसरा पहाड़ उठाकर पटकता है, वातावरण में विस्तार की सर्द चीखें गूंजने लगी। अगले ही क्षण वह पहाड़ भी, विस्तार को कैद करने वाले अंश का हिस्सा बन गया, अब विस्तार का बचना मुश्किल नजर आ रहा था।

"तुम एक धोखेबाज लालची से अधिक कुछ नही हो ग्रेमाक्ष!" चीखता हुआ विस्तार बोला। "तुम सदैव स्वयं से भागते रहे हो ताकि कभी तुम्हें स्वंय का सामना करना न पड़े! तुम दुनिया से स्वयं को छिपा सकते हो परन्तु स्वयं से? स्वयं से स्वयं को कैसे छिपाओगे तुम!" कसमसाते हुए चट्टानों को स्वयं से अलग करने के प्रयत्न जुटा विस्तार ने अपनी पूरी तलाक़ से चिल्लाते हुए कहा।

"तुम मेरे बारे में कुछ नही जानते! तुम तो स्वयं के बारे में ही कुछ नही जानते हाहाहा...!" ग्रेमाक्ष की अट्ठहास चारों ओर गूंज रहे थे। परन्तु अब ग्रेमाक्ष ने विस्तार की दुखती रग पर हाथ रख दिया था भले ही वह विस्तार के बारे में कुछ नही जानता हो परन्तु उसका कथन कितना प्रभावी हुआ यह विस्तार को देखकर ही पता चल रहा था। विस्तार के मन में पुनः वही भाव उत्पन्न होने लगे, उसने विरोध बन्द कर दिया और आंखे बंद कर स्वयं के बारे में जानने का प्रयत्न करने लगा। ग्रेमाक्ष कि मुट्ठियाँ और कसने लगी, पहाड़ के ऊपर पहाड़ लदने लगे, देखते ही देखते विस्तार जीवित ही दफन हो चुका था।

"अपने अंत का स्वागत करो विस्तार!" कहते ही ग्रेमाक्ष ने उस विशाल पर्वत को जहां विस्तार जकड़ा हुआ था, अपनी बूम रे से उड़ा दिया। उसके सिंग अब भी दहक रहे थे, उसके अंदर क्रोध के असंख्य ज्वालामुखी फट रहे थे, सदियों बाद किसी में इतनी हिम्मत हुई थी कि वह ग्रेमाक्ष के समक्ष तनकर, सिर उठाकर खड़ा हो सके परन्तु अब वह सदियों के लिए सो चुका था।

"आखिर कब तक अपनी मृत्यु को स्वयं से दूर करने का प्रयत्न करते रहते विस्तार! अब सो जाओ। अलविदा..हाहाहा…अलविदा विस्तार!" ग्रेमाक्ष वहां से मुड़कर वापिस जाने लगा। तभी उसके शरीर से तेजी से कोई टकराया जिसे देखकर वह आश्चर्यचकित रह गया। इससे पहले ग्रेमाक्ष सम्भल पता वह उसे अपने दोनों हाथों से पकड़कर उठाते हुए जमीन से जा टकराया।

"अलविदा कहने का समय जरूर आया है ग्रेमाक्ष! पर जब तक मैं तुम सबका सर्वनाश नही कर लेता अलविदा कहने का अधिकार नही है मुझे।" विस्तार उसके चेहरे पर लगातार मुक्के बरसाए जा रहा था। ग्रेमाक्ष का ध्यान टूटने के साथ ही वायु की सघनता कम होने लगी थी।

"तुम..तुम जीवित कैसे हो?" ग्रेमाक्ष हैरान था। उसके उस शक्तिशाली वार से पहाड़ खिल-खिलकर गुब्बारे की तरह फट गया था फिर विस्तार जीवित कैसे? जबकि वह भी उन्ही पहाड़ो के बीच कैद था।

"क्योंकि बचने का मार्ग तुमने ही दिया था। हालाँकि तुम सब बार बार एक ही प्रश्न पूछकर मेरे 'दिमाग का धतूरा'(दिमाग का दही के समानार्थी) कर दिया। परन्तु अब मैं सच्चाई को जानता हूँ ग्रेमाक्ष! अब तुम्हारी ये चाल मुझपर काम नही करेगी।" विस्तार की आँखों में जमाने भर का विश्वास नजर आ रहा था, यह देखकर ग्रेमाक्ष बहुत हैरान हो रहा था, अंदर ही अंदर वह इससे घबरा भी रहा था।

"पर मेरे उस कैद से आजाद होना असंभव है।" ग्रेमाक्ष विस्तार को स्वयं से अलग करता हुआ बोला, उसके स्वर में क्रोध के साथ उत्तेजता का पुट था।

"आसान था! जब तुमने मुझे असंख्य पहाड़ो के बीच दबा दिया तब मेरा मस्तिष्क तेजी से काम करने लगा, तभी मुझे ध्यान आया कि तुमने अग्नि, भूमि, वायु एवं आकाश की शक्ति का प्रयोग किया है परन्तु जब इन चारों का किया है तो जल का क्यों नही! उत्तर मिल गया क्योंकि जल और अग्नि एक साथ एक ही स्थान पर सम्भव नही है। और जल तो भूमि के अंदर होता है, बस थोड़ा सा और प्रयास करने से मैंने जल को ढूंढ लिया और जल के भीतर-भीतर उससे पहले ही निकलकर बाहर आ गया जब तुम मुझे अलविदा करने वाले थे।" विस्तार के चेहरे पर तीक्ष्ण मुस्कान थी। कहते हुए वह ग्रेमाक्ष के वार से भी बच रहा था।

"एक बार बच गए विस्तार परन्तु अब तुम्हे कोई नही बचा सकता।" ग्रेमाक्ष आवेश में भर आया था, उसने अपने दोनों हाथों को जमीन पर पटका। जमीन से निकला स्याह लावा विस्तार की ओर बढ़ा परन्तु तब तक विस्तार अपना स्थान छोड़ चुका था। अगले ही क्षण एक के बाद एक अनगिनत लावे फटने शुरू हुए परन्तु उनमे से कोई एक भी विस्तार को न छू पाया।

"विस्तार, अभी और विस्तृत होगा ग्रेमाक्ष! तुम अपनी मृत्यु को और अधिक टाल नही पाओगे।" विस्तार की आँखें में एक बार फिर ज्वाला भड़कने लगी, हाथों से स्याहियां पहले से अधिक मात्रा में उड़ती हुई दिखाई दे रही थी। ओमेगा चिन्ह अपना सम्पूर्ण तेज लिये चमक रहा था। ग्रेमाक्ष यह सब देखकर चेहरे पर जमाने भर की हैरानी लिए अत्यधिक परेशान सा खड़ा था।

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उन दोनों को डार्क लीडर की इस रहस्यमयी मुस्कान के पीछे छिपे रहस्य का कोई भान न था। जिस स्थान पर डार्क लीडर को परेशान होना चाहिये था वहां वह मुस्कुरा रहा था, वह एक विलक्षण मुस्कान थी जिसे देखकर वीर और सुपीरियर लीडर दोनो ही हतप्रभ से उसे देख रहे थे।

"तुम झूठ बोलने में माहिर जरूर हो वीर परन्तु तुम सबको कहानियां ही सुनाते नही रह सकते! मेरे पास भी तुम्हारे लिए एक रोमांचक कहानी है!" डार्क लीडर के शब्दों में जमाने भर का रहस्य नजर आ रहा था, वीर बस उसे समझने की कोशिश कर रहा था।

क्रमशः….


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3 Comments

Seema Priyadarshini sahay

07-Sep-2021 03:53 PM

बहुत ही खूबसूरत, और रोमांचक

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Rayeesha ❣️

07-Sep-2021 02:53 PM

शानदार रचना 👌

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🤫

14-Aug-2021 01:45 AM

बढ़िया कहानी.....

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